जीने भी दे दुनिया हमें
इल्ज़ाम ना लगा
इक बार तो करते हैं सब
कोई हसीं ख़ता
वरना कोई कैसे भला
चाहे किसी को बेपनाह
ऐ ज़िंदगी तू ही बता
क्यूँ इश्क़ है गुनाह
जीने भी दे दुनिया हमें
इल्ज़ाम ना लगा
इक बार तो करते हैं सब
कोई हसीं ख़ता
ख़ुद से ही कर के गुफ़्तगू
कोई कैसे जिये
इश्क़ तो लाज़मी सा है
ज़िन्दगी के लिए
ख़ुद से ही कर के गुफ़्तगू
कोई कैसे जिये
इश्क़ तो लाज़मी सा है
ज़िन्दगी के लिए
दिल क्या करे दिल को अगर
अच्छा लगे कोई
झूठा सही दिल को मगर
सच्चा लगे कोई
जीने भी दे दुनिया हमें
इल्ज़ाम ना लगा
इक बार तो करते हैं सब
कोई हसीं ख़ता
वरना कोई कैसे भला
चाहे किसी को बेपनाह
ऐ ज़िंदगी तू ही बता
क्यूँ इश्क़ है गुनाह
दिल को भी उड़ने के लिए
आसमाँ चाहिए
खुलती हो जिनमें खिड़कियाँ
वो मकां चाहिए
दिल को भी उड़ने के लिए
आसमाँ चाहिए
खुलती हो जिनमें खिड़कियाँ
वो मकां चाहिए
दरवाज़े से निकले ज़रा
बाहर को रहगुज़र
हर मोड़ पे जो साथ हो
ऐसा हो हमसफ़र
जीने भी दे दुनिया हमें
इल्ज़ाम ना लगा
इक बार तो करते हैं सब
कोई हसीं ख़ता
वरना कोई कैसे भला
चाहे किसी को बेपनाह
ऐ ज़िंदगी तू ही बता
क्यूँ इश्क़ है गुनाह
गीतकार : शकील आज़मी
गायक : यासेर देसाई
संगीतकार : हरीश सगाने
टीवी सीरियल : दिल संभल जा ज़रा
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