ऐ दिल मत रो सोचके तू ये - क्लासिकली माइल्ड (2008)




ऐ दिल मत रो सोचके तू ये 
हाथ मे उसका हाथ नहीं 
जो शामिल है हर धड़कन में 
वो कब तेरे साथ नहीं

गुम सूम आँखे सुनि साँसे 
टूटती जुड़ती उम्मीदें 
डरता हु यु कैसे कटेगी
उम्र है कोई रात नहीं

तू मेरी ख़ामोशी सुनके 
इतना भी ग़मगीन न हो 
बस दुनिया में जी नहीं लगता 
और तो कोई बात नहीं

गीतकार: अजय झिंगरन
संगीतकार: दीपक पंडित
गायक: सोनू निगम
एल्बम : क्लासिकली माइल्ड (2008)

आज मैंने अपना फिर सौदा किया - सोज़ (2002)




आज मैंने अपना फिर सौदा किया
और फिर मैं दूर से देखा किया

ज़िन्‍दगी भर मेरे काम आए उसूल
एक एक करके उन्‍हें बेचा किया

कुछ कमी अपनी वफ़ाओं में भी थी
तुम से क्‍या कहते के तुमने क्‍या किया

हो गई थी दिल को कुछ उम्‍मीद सी
ख़ैर तुमने जो किया अच्‍छा किया

गीतकार: जावेद अख्तर
संगीतकार: जगजीत सिंह
गायक: जगजीत सिंह
एल्बम : सोज़ (2002)

अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना - सोज़ (2002)




अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना
सिर्फ अहसान जताने के लिए मत आना

मैंने पलकों पे तमन्‍नाएँ सजा रखी हैं
दिल में उम्‍मीद की सौ शम्‍मे जला रखी हैं
ये हसीं शम्‍मे बुझाने के लिए मत आना

प्‍यार की आग में ज़ंजीरें पिघल सकती हैं
चाहने वालों की तक़दीरें बदल सकती हैं
तुम हो बेबस ये बताने के लिए मत आना

अब तुम आना जो तुम्‍हें मुझसे मुहब्‍बत है कोई
मुझसे मिलने की अगर तुमको भी चाहत है कोई
तुम कोई रस्‍म निभाने के लिए मत आना

गीतकार: जावेद अख्तर
संगीतकार: जगजीत सिंह
गायक: जगजीत सिंह
एल्बम : सोज़ (2002)

तमन्‍ना फिर मचल जाए - सोज़ (2002)



तमन्‍ना फिर मचल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
यह मौसम ही बदल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ

मुझे ग़म है कि मैने ज़िन्दगी में कुछ नहीं पाया
ये ग़म दिल से निकल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ

ये दुनिया भर के झगड़े, घर के किस्‍से, काम की बातें
बला हर एक टल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ

नहीं मिलते हो मुझसे तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे
ज़माना मुझसे जल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ

गीतकार: जावेद अख्तर
संगीतकार: जगजीत सिंह
गायक: जगजीत सिंह
एल्बम : सोज़ (2002)

हमनवा मेरे - ज़ुबिन नौटियाल



कल रास्ते में गम मिल गया था
लग के गले मैं रो दिया
जो सिर्फ मेरा था सिर्फ मेरा
मैंने उसे क्यूँ खो दिया

हाँ वो आँखें जिन्हें मैं
चूमता था बेवजह
प्यार मेरे लिए क्यूँ बाकि न रहा

हमनवा मेरे तू है तो मेरी सांसें चले
बता दे कैसे मैं जियूँगा तेरे बिना



हर वक़्त दिल को जो सताए
ऐसी कमी है तू
मैं भी ना जानू ये की इतना
क्यूँ लाज़मी है तू

नींदें जा के लौटी न कितनी रातें ढल गयी
इतने तारे गिने के उँगलियाँ भी जल गयी

हमनवा मेरे तू है तो मेरी सांसें चले
बता दे कैसे मैं जियूँगा तेरे बिना



तू आखरी आंसू औ यारा
है आखरी तू गम
दिल अब कहाँ है जो दोबारा
दें दें किसी को हम

अपनी शामो में हिस्सा फिर किसी को ना दिया
इश्क तेरे बिना भी मैंने तुझसे ही किया

हमनवा मेरे तू है तो मेरी सांसें चले
बता दे कैसे मैं जियूँगा तेरे बिना
फ़ासले ना दे के मैं ह आसरे तेरे
बता दे कैसे मैं जियूँगा तेरे बिना


आज़मा रहा मुझे क्यों
आ भी जा कहीं से अब तू
कैसे मैं जियूँगा तेरे बिना
सीने में जो धड़कनें हैं
तेरे नाम पे चले हैं
कैसे मैं जियूँगा तेरे बिना

हमनवा मेरे तू है तो मेरी सांसें चले
बता दे कैसे मैं जियूँगा तेरे बिना”

संगीतकार: रॉकी-शिव
***

गम का खज़ाना तेरा भी है मेरा भी - सजदा (1991)




गम का खज़ाना तेरा भी है मेरा भी 
ये नज़राना तेरा भी है मेरा भी 

अपने गम का गीत बन कर गा लेना 
राग पुराना तेरा भी है मेरा भी 

तू मुझको और मैं तुमको समझाऊँ क्या 
दिल दीवाना तेरा भी है मेरा भी 

शहर में गलियों गलियों जिसका चर्चा है 
वो अफ़साना तेरा भी है मेरा भी 

मैखाने की बात ना कर वाइज़ मुझसे 
आन जाना तेरा भी है मेरा भी

गीतकार: शाहिद कबीर
संगीतकार: जगजीत सिंह
एल्बम : सजदा (1991)

मैं यह सोचकर उसके दर से उठा था - हकीकत (1964)



मैं यह सोचकर उसके दर से उठा था
कि वह रोक लेगी मना लेगी मुझको ।

हवाओं में लहराता आता था दामन
कि दामन पकड़कर बिठा लेगी मुझको ।

क़दम ऐसे अंदाज़ से उठ रहे थे
कि आवाज़ देकर बुला लेगी मुझको ।

कि उसने रोका न मुझको मनाया
न दामन ही पकड़ा न मुझको बिठाया ।

न आवाज़ ही दी न मुझको बुलाया
मैं आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ता ही आया ।

यहाँ तक कि उससे जुदा हो गया मैं
जुदा हो गया मैं, जुदा हो गया मैं

गीतकार: कैफ़ी आज़मी
संगीतकार: मदन मोहन
गायक: मोहम्मद रफ़ी
चित्रपट: हकीकत (1964)

किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है - ऐतबार (1985)




किसी नज़र को तेरा, इंतजार आज भी हैं
कहा हो तुम के ये दिल बेकरार आज भी हैं

वो वादियाँ, वो फिजायँ के हम मिले थे जहाँ
मेरी वफ़ा का वहीं पर मज़ार आज भी हैं

ना जाने देख के क्यूँ उनको ये हुआ एहसास
के मेरे दिल पे उन्हे इख्तियर आज भी हैं

वो प्यार जिसके लिए हमने छोड़ दी दुनिया
वफ़ा की रह मे घायल वो प्यार आज भी हैं

यकीन नही हैं मगर आज भी ये लगता हैं
मेरी तलाश मे शायद बाहर आज भी हैं

ना पुछ कितने मोहब्बत के जख्म खाए हैं
के जिनको सोचके दिल सोगवार आज भी हैं


गीतकार : हसन कमाल
गायक : आशा भोंसलेभूपेन्द्र सिंह
संगीतकार : बप्‍पी लहिरी
चित्रपट :  ऐतबार (1985)

वो हम-सफ़र था मगर उस से हम-नवाई न थी

वो हम-सफ़र था मगर उस से हम-नवाई न थी 
कि धूप छाँव का आलम रहा जुदाई न थी 

न अपना रंज न औरों का दुख न तेरा मलाल 
शब-ए-फ़िराक़ कभी हम ने यूँ गँवाई न थी 

मोहब्बतों का सफ़र इस तरह भी गुज़रा था 
शिकस्ता-दिल थे मुसाफ़िर शिकस्ता-पाई न थी 

अदावतें थीं, तग़ाफ़ुल था, रंजिशें थीं बहुत 
बिछड़ने वाले में सब कुछ था, बेवफ़ाई न थी 

बिछड़ते वक़्त उन आँखों में थी हमारी ग़ज़ल 
ग़ज़ल भी वो जो किसी को अभी सुनाई न थी 

किसे पुकार रहा था वो डूबता हुआ दिन 
सदा तो आई थी लेकिन कोई दुहाई न थी 

कभी ये हाल कि दोनों में यक-दिली थी बहुत 
कभी ये मरहला जैसे कि आश्नाई न थी 

अजीब होती है राह-ए-सुख़न भी देख 'नसीर' 
वहाँ भी आ गए आख़िर, जहाँ रसाई न थी 

नसीर तुराबी
***
गायक :कुरत उल एन बलौच  

ઘડીમાં રીસાવું, ખરાં છો તમે

ઘડીમાં રીસાવું, ખરાં છો તમે.
ઘડીમાં મનાવું, ખરાં છો તમે.

ન પૂછો કશું યે, ન બોલો કશું યે,
અમસ્તા મુંઝાઓ, ખરાં છો તમે.

ન આવો છો મળવા, ન ઘરમાં રહો છો,
અમારે ક્યાં જાવું, ખરાં છો તમે.

હતી ભાગ્યરેખા, ભુંસાઇ ગઇ.
નવી ક્યાંથી લાવું, ખરાં છો તમે.

કૈલાસ પંડિત

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ 
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ 

कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख 
तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए आ 

पहले से मरासिम न सही फिर भी कभी तो 
रस्म-ओ-रह-ए-दुनिया ही निभाने के लिए आ 

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम 
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ 

इक उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिर्या से भी महरूम 
ऐ राहत-ए-जाँ मुझ को रुलाने के लिए आ 

अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़हम को तुझ से हैं उम्मीदें 
ये आख़िरी शमएँ भी बुझाने के लिए आ

- अहमद फ़राज़
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गायक :अली सेठी 

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गायक :पापोन 

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