ये दिल तन्हा क्यूं रहे
क्यूं हम टुकड़ों में जिए
ये दिल तन्हा क्यूं रहे
क्यूं हम टुकड़ों में जियें
क्यूं रूह मेरी ये सहे
मैं अधूरा जी रहा हूं
हरदम ये कह रहा हूं
मुझे तेरी ज़रूरत है
मुझे तेरी ज़रूरत है
अंधेरों से था मेरा रिश्ता बड़ा
तूने ही उजालों से वाक़िफ़ किया
अब लौटा मैं हूं इन अंधेरों में फिर
तो पाया है खुद को बेगाना यहां
तन्हाई भी मुझसे खफा हो गयी
बंजारों ने भी ठुकरा दिया
मैं अधूरा जी रहा हूं
खुद पर ही इक सज़ा हूं
मुझे तेरी ज़रूरत है
मुझे तेरी ज़रूरत है
तेरे जिस्म की वो खुश्बुएं
अब भी इन सांसों में ज़िंदा है
मुझे हो रही इनसे घुटन
मेरे गले का ये फंदा है
तेरी चूड़ियों की वो खनक
यादों के कमरे में गूंजे है
सुनकर इसे आता है याद
हाथों में मेरे ज़ंजीरें हैं
तूही आके इनको निकाल ज़रा
कर मुझे यहां से रिहा
मैं अधूरा जी रहा हूं
ये सदाएं दे रहा हूं
मुझे तेरी ज़रूरत है
मुझे तेरी ज़रूरत है
गीतकार : मिथुन
गायक : मुस्तफ़ा ज़हिद
संगीतकार : मिथुन
चित्रपट : एक विलन (2014)
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