तुम्हें याद होगा कभी हम मिले थे
मुहब्बत की राहों में मिल के चले थे
.
भूला दो मुहब्बत में हम तुम मिले थे
सपना ही समझो के मिल के चले थे
.
डूबा हूँ ग़म की गहराइयों में
सहरा हैं यादों का तनहाइयों में
.
कहीं और दिल की दुनिया बसा लो
क़सम है तुम्हें वो क़सम तोड़ डालो
.
नई दिल की दुनिया बसा न सकूँगा
जो भूले हो तुम वो भुला न सकूँगा
.
अगर ज़िंदगी हो अपनी ही बस में
तुम्हारी क़सम हम न भूलें वो क़समें
.
गीतकार : गुलशन बावरा
गायक : हेमंत कुमार, लता मंगेशकर
संगीतकार : कल्याणजी-आनंदजी
चित्रपट : सट्टा बाजार (1959)
No comments:
Post a Comment