दो, पल रुका, ख्वाबों का कारवाँ - वीर ज़ारा (2004)





दो, पल रुका, ख्वाबों का कारवाँ
और फिर चल दिए, तुम कहाँ, हम कहाँ
दो पल की थी, ये दिलों की दास्ताँ
और फिर चल दिए, तुम कहाँ, हम कहाँ

तुम थे के थी कोई उजली किरण

तुम थे या कोई कली मुस्काई थी
तुम थे या था सपनो का था सावन
तुम थे के खुशियों की घटा छायी थी
तुम थे के था कोई फूल खिला
तुम थे या मिला था मुझे नया जहाँ

तुम थे या खुश्बू हवाओं में थी

तुम थे या रंग सारी दिशाओं में थे
तुम थे या रोशनी राहो में थी
तुम थे या गीत गूँजे फ़िज़ा में थे
तुम थे मिले या मिली थी मंज़िले
तुम थे के था जादू भरा कोई समा

गीतकार : जावेद अख्तर

गायक : लता मंगेशकर, सोनू निगम
संगीतकार : मदन मोहन
चित्रपट : वीर ज़ारा (2004)

No comments:

Post a Comment